बेंगलुरु, 28 जुलाई। बसवराज बोम्मई ने बुधवार को कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने यहां राज भवन में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। कर्नाटक में भाजपा के विधायक दल ने मुख्यमंत्री पद पर असमंजस को खत्म करते हुए मंगलवार शाम को 61 वर्षीय बोम्मई को अपना नया नेता चुना। बोम्मई ने कद्दावर नेता बी एस येदियुरप्पा का स्थान लिया है। उत्तर कर्नाटक से लिंगायत समुदाय के नेता बोम्मई को येदियुरप्पा का करीबी माना जाता है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाने में वरिष्ठ भाजपा नेता की पूरी सहमति है।
दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई के बेटे बोम्मई सोमवार को भंग हुई येदियुरप्पा की मंत्रिपरिषद में गृह मामलों, कानून, संसदीय मामलों और विधायी मामलों के मंत्री थे। कर्नाटक में एचडी देवगौड़ा और एचडी कुमारस्वामी के बाद यह पिता-पुत्र की दूसरी जोड़ी है जो मुख्यमंत्री बने हैं। बोम्मई हावेरी जिले में शिगगांव से तीन बार के विधायक हैं तथा दो बार वह पार्षद रहे हैं। उनके शपथ ग्रहण समारोह में येदियुरप्पा, केंद्रीय मंत्री प्रधान और जी किशन रेड्डी, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव एवं कर्नाटक के प्रभारी अरुण सिंह, प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील और राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि तथा कई अन्य नेता मौजूद रहे। प्रधान और रेड्डी को विधायक दल की बैठक के लिए भाजपा के संसदीय बोर्ड ने केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया था।
बुधवार को बोम्मई ने अकेले शपथ ली। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। मंत्रिमंडल विस्तार पर पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैंने केंद्रीय पर्यवेक्षक धर्मेंद्र प्रधान, किशन रेड्डी और महासचिव सिंह से मुलाकात की थी, उन्होंने कहा कि आज इस पर चर्चा नहीं करते हैं, जब वे दिल्ली वापस चले जाएंगे तब देखते हैं।’ यह पूछने पर कि क्या वह विस्तार के लिए आषाढ़ महीने का इंतजार करेंगे जिसे अशुभ माना जाता है। इस पर उन्होंने कहा कि ‘ऐसा कुछ नहीं है। हम जल्द से जल्द इसे करेंगे, ज्यादा वक्त नहीं लेंगे क्योंकि मुझे कोविड और बाढ़ के कारण काम करने के लिए पूरी टीम चाहिए।’
यह पूछने पर कि क्या उनके मंत्रिमंडल में पहले वाले मंत्री ही रहेंगे, इस पर बोम्मई ने कहा कि ये सभी मंत्रिमंडल गठन का हिस्सा हैं और सभी के बारे में मिलकर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह अपने दिल्ली दौरे पर इस पर चर्चा तथा फैसला करेंगे। शपथ ग्रहण समारोह से पहले बोम्मई ने येदियुरप्पा, प्रधान, रेड्डी और सिंह से मुलाकात की। हालांकि येदियुरप्प ने कहा था कि वह अपने उत्तराधिकारी का नाम नहीं देंगे लेकिन यह स्पष्ट है कि बोम्मई के चयन में उनकी प्रमुख भूमिका थी। बोम्मई को साफ और अविवादित छवि के लिए जाना जाता है।
ऐसा कहा जा रहा था कि भाजपा बुजुर्ग नेताओं को हटाने पर ध्यान दे रही थी लेकिन 2023 में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लिंगायत समुदाय के नेता को चुनकर पार्टी ने सुरक्षित चयन किया। लिंगायत समुदाय कर्नाटक में भाजपा का प्रमुख वोट बैंक है। येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से आते हैं। बोम्मई ने एक प्रभावी, ईमानदार और जनता के लिए काम करने वाली सरकार का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वह सभी को साथ लेकर चलेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार एक टीम के तौर पर काम करेगी। हमारी सरकार कोविड तथा अन्य स्वास्थ्य मुद्दों के साथ ही बाढ़ से प्रभावित लोगों के बचाव के लिए आएगी। हमारे सभी फैसले यह ध्यान में रखते हुए लिए जाएंगे कि समाज के अंतिम व्यक्ति-गरीब, किसानों, पिछड़े और शोषित लोगों को उसका लाभ मिले तथा क्षेत्रीय असंतुलन से भी मुक्ति मिले।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह एक सदस्यीय मंत्रिमंडल की बैठक करेंगे और आज अधिकारियों से जानकारी लेंगे। उन्होंने कहा कि ‘चर्चा के बाद मौजूदा वित्तीय सीमाओं के बीच मैं कुछ फैसले ले सकता हूं। हमारे सामने वित्तीय और सामाजिक चुनौतियां हैं तथा सभी के सहयोग से हम इनसे निपटने की कोशिश करेंगे।’ जनता दल से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले बोम्मई को हाल में भंग भाजपा सरकार में येदियुरप्पा की परछाई के तौर पर काम करते हुए देख गया। वह बैठकों, कार्यक्रमों तथा प्रेस बीफ्रिंग में उनके साथ रहे। येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने पर महीनों से लगाई जा रही अटकलों को विराम देते हुए सोमवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफा ऐसे दिन दिया जब उनकी सरकार को दो साल पूरे हुए।
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