नई दिल्ली, 23 जुलाई। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में शुक्रवार को अदालत से जमानत पर रिहा करने का अनुरोध किया। इशरत का दावा है कि दिल्ली पुलिस के पास उनके खिलाफ एक भी सबूत नहीं है। इशरत जहां तथा कई अन्य लोगों पर इस मामले में आतंकवाद रोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया और उन पर फरवरी 2020 को हुए दंगों का मास्टरमाइंड होने का आरोप है। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक घायल हुए थे। इशरत जहां की ओर से पेश हुए वकील प्रदीप तेवतिया ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष दलील दी कि ‘इनकी (पुलिस) मंशा मुझे झूठे तरीके से फंसाना था। जांच एजेंसी (पुलिस) के पास यह दिखाने के लिए एक भी सबूत नहीं है कि मेरा संबंध इस षडयंत्र से है।’
तेवतिया ने अभियोजन के उन आरोपों पर भी आपत्ति जताई कि इशरत जहां ने प्रदर्शन और हिंसा के वित्त पोषण में मदद की और अदालत में उनकी वित्तीय लेनदेन की जानकारियां रखीं। उन्होंने मामले में गवाहों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इशरत जहां एक वकील रही हैं, एक युवा नेता रहीं हैं लेकिन उन्हें कट्टर दिखाया गया। जांच एजेंसी उनकी गलत छवि पेश कर रही है। यह पहली बार है जब इस मामले में आरोपी ने नियमित जमानत मांगी है। पिछले साल नवंबर में अदालत ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था।
इशरत जहां को शादी करने के लिए 10 दिन की अंतरिम जमानत दी गई और उन्हें गवाहों को प्रभावित नहीं करने या सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने 12 जून 2020 को शादी की। इशरत जहां के अलावा जामिया मिल्लिया इस्लामिया छात्र आसिफ इकबाल तनहा, जेएनयू छात्र नताशा नरवाल और देवंगना कलिता, पूर्व छात्र नेता उमर खालिद, जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगार, पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन तथा कई अन्य पर इस मामले में आतंकवाद रोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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