शिमला,03 अप्रैल। आयुक्त, राज्य कर एवं आबकारी, युनूस ने बताया कि विभाग द्वारा फर्जी कम्पनियों के खिलाफ अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के अंतर्गत विभाग की आर्थिक सतर्कता इकाई ने चार फर्जी फर्मों (प्रतिष्ठानों) की पहचान की है। आधारकार्ड विवरण के अनुसार इन फर्मों का स्वामित्व गुजरात से संबंधित तीन व्यक्तियों के पास है। इन तीन व्यक्तियों द्वारा देशभर में 184 पंजीकरणों के लिए आवेदन किया गया था जिनमें से केवल 31 को स्वीकृति प्राप्त हुई। हिमाचल प्रदेश में इन्होंने 10 पंजीकरणों के लिए आवेदन किया था, लेकिन विभाग द्वारा प्रदेश में सभी पंजीकरणों को अस्वीकार कर दिया गया। हालांकि केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर प्राधिकरण से वे हिमाचल प्रदेश में चार पंजीकरण स्वीकृत करवाने में सफल रहे।
उन्होंने बताया कि इन प्रतिष्ठानों के आंकड़ों के विस्तृत विश्लेषण के बाद यह पाया गया कि यह प्रतिष्ठान संदिग्ध लेन-देन कर रहे हैं। इनके द्वारा कारोबार के लिए दिए गए पते के संबंध में पूछताछ की गई और पाया गया कि राज्य में दिए गए पते पर कोई भी फर्म उपलब्ध नहीं थी। इन लोगों ने 167 करोड़ रुपए के कारोबार का खुलासा किया है और पूरे भारत में 27 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट दिया है। हिमाचल प्रदेश में इन्होंने 56 करोड़ रुपये का कारोबार दिखाया है और 9.43 करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट दिया गया।
उन्होंने बताया कि विभाग ने तथ्यों को ध्यान में रखते हुए इस मामले को केंद्रीय अधिकारियों के समक्ष उठाया है क्योंकि यह फर्म केंद्रीय अधिकार क्षेत्र में हैं और उनका नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है। केंद्रीय अधिकारियों से इन फर्जी संस्थाओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है।
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