नई दिल्ली, 07 सितंबर। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने, उनके लिए नए प्रशिक्षण ढांचे और कोष उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया था। न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि वह इन मुद्दों से अवगत हैं लेकिन सरकार के लिए कोई निर्देश जारी नहीं कर सकती।
पीठ ने कहा कि ‘क्या आप खेल क्षेत्र से हैं? इसके लिए व्यक्ति में स्व-प्रेरणा होनी चाहिए। मीराबाई चानू, मैरी कॉम जैसे लोग भी हैं जो विपरीत परिस्थितियों के बावजूद खड़े हुए और चमके। यह अदालत के आदेश से संभव नहीं है। हम कुछ नहीं कर पाएंगे। या तो आप याचिका वापस ले लें या फिर हम इसे खारिज कर देंगे।’ इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली। पीठ ने याचिकाकर्ता को संबंधित अधिकारियों के समक्ष आवेदन देने की छूट देने से इनकार कर दिया और कहा कि कोई इसमें विवाद या व्यक्तिगत कारण नहीं है।
न्यायालय ने कहा कि ‘हमारे भी समान विचार हैं, सहानुभूति भी है। याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाती है।’ याचिकाकर्ता अधिवक्ता विशाल तिवारी ने कहा कि खिलाड़ी कई दशक से ओलंपिक में भाग लेते आ रहे हैं लेकिन परिणाम संतोषजनक नहीं हैं और खिलाड़ियों को केंद्र तथा राज्यों द्वारा समर्थन और सुविधाएं दी जानी चाहिए। याचिका में कोष का मनमाने तरीके से आबंटन किए जाने का आरोप लगाते हुए खिलाड़ियों के लिए धन आवंटित किए जाने पर जवाबदेही तय करने के निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था।
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