नई दिल्ली, 12 अगस्त। उच्चतम न्यायालय ने आसाराम बापू के बेटे नारायण साई को दो हफ्तों का फर्लो देने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी। साई दुष्कर्म के एक मामले में दोषी है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने गुजरात सरकार की याचिका पर नारायण साई को नोटिस दिया। इस याचिका में उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई है। उच्चतम न्यायालय ने मामले पर सुनवाई के लिए दो हफ्ते बाद का समय दिया है।
गुजरात उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 24 जून को नारायण साई को फर्लो की मंजूरी दी थी। इससे पहले दिसंबर 2020 में उच्च न्यायालय ने साई की मां की तबीयत खराब होने के कारण उसे फर्लो दी थी। सूरत की एक अदालत ने नारायण साई को 26 अप्रैल 2019 को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 323 (हमला), 506-2 (आपराधिक धमकी) और 120-बी (षड़यंत्र) के तहत दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी। साई को उसकी और उसके पिता आसाराम की पूर्व अनुयायी द्वारा दायर बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। पीड़िता की बहन ने आसाराम के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई थी।
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